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मानसून के बहुआयामी प्रभाव: डॉ विनोद नाथ

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संपादकीय | July 08, 2024 11:28 AM
चित्र: सभार गूगल

मानसून एक मौसमी पवन प्रणाली है, जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका, और अन्य क्षेत्रों में होती है। मानसून को मुख्यतः दो हिस्सों में बांटा जा सकता है: गर्मी का मानसून और सर्दी का मानसून।

मानसून की बारिश खेतों की सिंचाई का मुख्य स्रोत होती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां सिंचाई की अन्य व्यवस्थाएं नहीं हैं। मानसून की बारिश से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, जिससे फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है। धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, और सोयाबीन जैसी खरीफ फसलें मानसून की बारिश पर निर्भर होती हैं। मानसून के दौरान नदियों, झीलों, और तालाबों का जल स्तर बढ़ता है, जिससे जल की उपलब्धता में सुधार होता है। मानसून की बारिश भूजल स्तर को पुनर्भरित करने में मदद करती है, जिससे पीने के पानी की आपूर्ति में सुधार होता है।

इस लेख में मानसून और उसके महत्व के साथ-साथ मानसून के साथ जुड़े कुछ अन्य पहलुओं पर भी विवेचना करने का प्रयास किया जा रहा है मानसून का हमारे देश के सभी हिस्सों में बहु आयामी प्रभाव होता है और इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अधिक है

मानसून का सांस्कृतिक प्रभाव विभिन्न समाजों और समुदायों में गहरा और व्यापक होता है। यहाँ कुछ मुख्य सांस्कृतिक प्रभावों पर चर्चा की गई है:

  1. त्योहार और उत्सव:
  • तीज और हरियाली तीज  राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और बिहार में तीज का त्योहार मानसून के आगमन के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। महिलाएं इस दौरान उपवास करती हैं, गीत गाती हैं और झूला झूलती हैं।
  • नाग पंचमी: नाग पंचमी का त्योहार मानसून के दौरान नाग देवता की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसे विशेषकर भारत में मनाया जाता है।
  • ओणम: केरल में ओणम त्योहार फसल की कटाई और नई फसलों की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व दस दिनों तक चलता है और इसमें पारंपरिक नृत्य, खेल, और संगीत शामिल होते हैं।
  1. कला और साहित्य:
  • लोक गीत और नृत्य: मानसून पर आधारित लोक गीत और नृत्य, जैसे "कजरी" और "सावन के गीत", उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। ये गीत और नृत्य मानसून की सुंदरता और इसके महत्व को दर्शाते हैं।
  • कविता और साहित्य: कई भारतीय कवियों और लेखकों ने मानसून को अपनी रचनाओं में प्रमुखता से स्थान दिया है। कालिदास की "मेघदूत" में मानसून का अद्वितीय वर्णन है।
  1. परंपरागत रीति-रिवाज और अनुष्ठान:
  • विवाह और अन्य संस्कार: मानसून का मौसम विवाह और अन्य धार्मिक संस्कारों के लिए शुभ माना जाता है। इस दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान और रीति-रिवाज संपन्न होते हैं।कुछ क्षेत्रों में मानसून के आगमन पर पर्वत और नदियों की पूजा की जाती है, क्योंकि इन्हें जल और जीवन का स्रोत माना जाता है।
  1. खान-पान:
  • मौसमी व्यंजन: मानसून के मौसम में विशेष प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं, जैसे पकौड़े, भुट्टा (भुना हुआ मकई), और गरम चाय। इनका आनंद बारिश के मौसम में लिया जाता है।
  • आयुर्वेदिक परंपराएँ: आयुर्वेद में मानसून के दौरान विशेष प्रकार के आहार और जीवनशैली का पालन करने की सलाह दी जाती है, जिससे स्वास्थ्य ठीक रहे।
  1. सामाजिक और सामुदायिक जीवन:
  • गाँव की जीवनशैली: ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून का आगमन सामुदायिक जीवन में विशेष उत्साह और सक्रियता लाता है। खेतों में काम की शुरुआत, जल स्रोतों का पुनर्भरण और सामुदायिक आयोजन इस दौरान होते हैं।
  • लोक कहानियाँ और मान्यताएँ: मानसून के मौसम से जुड़ी कई लोक कहानियाँ और मान्यताएँ हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं। इन कहानियों में देवताओं, परियों और अन्य अलौकिक तत्वों का वर्णन होता है।
  1. प्रेरणा का स्रोत:
  • चित्रकला और मूर्तिकला: मानसून का मौसम कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। इस मौसम के दृश्य, जैसे बारिश, हरियाली, और बदलते आकाश, चित्रकला और मूर्तिकला में अक्सर दिखते हैं।
  • सिनेमा और संगीत: भारतीय सिनेमा और संगीत में मानसून का विशेष स्थान है। कई फिल्में और गाने बारिश और मानसून की सुंदरता को दर्शाते हैं।

मिशिगन विश्वविद्यालय के अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार, बारिश की आवाज़ का मन पर शांत प्रभाव डालता है। यह सकारात्मक हो सकता है। बारिश का मौसम हमारी सकारात्मकता और रचनात्मक कौशल को अधिक निखार सकता है। खुशनुमा मौसम में बाहर रहने से याददाश्त में भी सुधार हो सकता है। इससे संज्ञानात्मक शैली का विस्तार होता है, जो अधिक रचनात्मक विचारों से जुड़ा हुआ है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो मानसून का हमारे जीवन में लगभग अधिकांशत अंगों पर प्रभाव पड़ता है। कुछ नकारात्मक प्रभावों के चलते महत्वपूर्ण यह है कि हमारे सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं के लिए मानसून एक अभिन्न अंग है।

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